Saturday, May 9, 2020

ऑनलाइन ठगी: सतर्कता ही बचाव

Cyber Crime
देश कोरोना की मार झेल रहा है जिससे लाखों लोग अपना रोजगार खो रहे हैं, आने वाले दिनों में गरीबी और महंगाई दोनों बढ़ेगी इसके साथ ही बढ़ेगा अपराध और जो सबसे ज्याद नुकसानदेह होगा वह है साइबर अपराध।
अब वह जमाना नहीं रहा जब रास्ते में लोगों को चाकू या बंदूक दिखा कर लूट लिया जाता था, आज टेक्नोलॉजी का जमाना है ऑनलाइन लूट होती है।
आपको लूटने के लिए किसी भी समय एक कॉल आ सकती है जिसमें आपको निम्न तरीके से ठगने की कोशिश होगी जहां आप थोड़ी सी सावधानी रखते हुए अपने को बचा सकते हैं-
1- आपको लकी ड्रा विजेता बताया जाएगा और टैक्स की राशि जमा करने के लिए कहा जाता है, तो कृपया विजेता ना बने और कोई भी राशि किसी खाते में जमा ना करें यह धोखाधड़ी होती है।
2- आपका एटीएम ब्लॉक होने की सूचना देगा और उसे चालू करने के लिए एटीएम नंबर, पिन और एटीएम के पीछे लिखे सीवीवी कोड बताने के लिए कहेगा , कृपया कभी भी एटीएम संबंधी जानकारी किसी को ना दें क्योंकि बैंक ऐसी जानकारी कभी फोन कॉल पर नहीं मांगता है।
3-आजकल नया तरीका चल रहा है तत्काल फोन कॉल पर ही लोन देने का या लोन EMI माफ करने का, इसके अन्तर्गत ठगी करने वाला आपके बैंक खाते और एटीएम की जानकारी ले लेता है या आपको ईमेल या मेसेज पर वेबसाइट की लिंक भेजता है जिसपर आप जैसे क्लिक करेंगे आपकी मोबाइल हैक हो जाएगी आपको पता भी नहीं चलेगा आपका सारा डाटा चुरा लेगा क्योंकि अधिकतर लोगों के मोबाइल में सभी पासवर्ड सेव रहते है जिसका फायदा उठाकर ठगी करने वाला आपके बैंक खाते को खाली कर देगा, आपका फोटो, कॉन्टेक्ट नंबर, मैसेज सब लीक हो जाएगा। इसलिए कभी भी किसी अज्ञात नंबर या नाम से आए लिंक पर क्लिक ना करे उसे खोले नहीं वह मेसेज डिलीट कर दें सुरक्षित रहेंगे।
4- पेटीएम, फ्रीचार्ज, फोन पे और गूगल पे जैसे एप्लिकेशन पर कैश बैक (Cash Back) का ऑफर देने के लिए काल आती है जिसमें आपके वालेट एप्लिकेशन से संबंधित जानकारी मांगी जाती है अगर आपने दे दिया तो आपके वालेट की राशि खाली।
5- मोबाइल पर आने वाले ओटीपी (OTP) को कभी किसी के साथ साझा (शेयर) ना करें।
6-इनकम टैक्स रिफंड के नाम से आपके मोबाइल पर या ईमेल पर एक लिंक का मैसेज आता है जिसपर क्लिक करते ही आपके बैंक की जानकारी मांगी जाती, जिसकी वेबसाइट इनकम टैक्स की वेबसाइट से मिलती जुलती होगी। ऐसे फ्रॉड लिंक्स को ओपन ना करें और कोई भी बैंक संबंधी जानकारी ना दें।
7- सबसे ताजा तरीन तरीका है आपके फेसबुक मैसेंजर पर आपके किसी मित्र का मेसेज आता है कि भाई/ बहन मुसीबत में हूं 5/10 हजार रूपए की जरूरत है भेज दो कल दे दूंगा/दूंगी। ऐसे किसी भी मेसेज को देखो तो मदद बाद में करने की सोचो पहले उस मित्र को तुरंत फोन कॉल करके कन्फर्म करो क्योंकि अधिकतम संभावना होती है कि किसी ने उस अकाउंट को हैक करके आपको मेसेज किया है।
       ऐसे बहुत उदाहरण हैं जिनके माध्यम से आपसे ठगी हो रही है। जब खाता धारक स्वयं कोई ऐसी जानकारी किसी के साथ शेयर करता है और उसे नुकसान होता है तो ऐसे मामलों में बैंक भी आपकी मदद करने में असहाय हो जाता है इसलिए सतर्कता ही बचाव है, सतर्क रहें सुरक्षित रहें
अगर आप किसी तरह ऑनलाइन धोखाधड़ी के शिकार हो ही जाते हैं तो https://cybercrime.gov.in पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं

Thursday, May 7, 2020

PPF अकाउंट- बचत और सुरक्षा, यूको बैंक के साथ

फोटो : यूको बैंक 
PPF यानि पब्लिक प्रोविडेंट फण्ड भारत सरकार की एक बचत योजना है। इस खाते में ब्याज भारत सरकार द्वारा दिया जाता है और वह ब्याज प्रति तिमाही (तीन महीनों में) निर्धारित किया जाता है। इस खाते में जमा राशि के मैचुरिटी पर टैक्स नहीं लगता है अपितु टैक्स में छूट मिलती है। पीपीएफ खाते में एक साल में अधिकतम 1.5 लाख रुपये का निवेश कर सकते है और साल में न्यूनतम 500 रुपये का निवेश करना जरूरी होता है। ध्यान रहे कि आप अपने पीपीएफ खाते में एक साल में इससे ज्यादा पैसे न जमा करें।1 अप्रैल से 30 जून 2020 तक के लिए लागू PPF ब्याज दर 7.1% तय की गई है।

PPF अकाउंट खोलने के लाभ और टैक्स में छूट
PPF अकाउंट में मूलधन और ब्याज की गारंटी सरकार द्वारा दी जाती है। PPF अकाउंट के लिए ब्याज दर सरकार द्वारा प्रति तिमाही (तीन महीनों में) घोषित की जाती है। उस अवधि में PPF रिटर्न बैंकों की FD दरों से अधिक होते हैं। बचत बैंक अधिनियम, 1873 के तहत किसी भी अदालत का आदेश PPF पर लागू नहीं होता हैं।
PPF अकाउंट में प्रति वर्ष 1.5 लाख रु. तक आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत टैक्स छूट के लिए मान्य है, साल में मिलने वाले ब्याज और मैच्योरिटी इनकम को भी टैक्स से छूट दी गई है।

सुरक्षित भविष्य के लिए निवेश 
अगर आप पीपीएफ में निवेश के जरिये अपना भविष्य सुरक्षित करना चाहते हैं तो आपको इस योजना में हर महीने 12,500 रुपये का निवेश करना होगा। हर महीने इस राशि से आपकी साल की निवेश राशि हो जायेगी 1.5 लाख रुपये। इस तरह 15 सालों में आपकी निवेश राशि होगी 22.5 लाख रुपये, मगर 7.1(वर्तमान ब्याज दर) फीसदी की ब्याज दर के साथ आपको 15 साल बाद मिलने वाली मैच्योरिटी राशि होगी करीब 36 लाख रुपये। इसे आप 5-5 वर्ष बढ़ा कर और आगे निवेश करते रहें तो आपकी मैच्योरिटी अवधि बढ़ने के साथ ही आपको और भी अधिक पैसा मिलेगा क्योंकि खास बात ये है कि अगर आप पैसा न निकालें तो आपको ब्याज पर भी ब्याज मिलता रहेगा।

PPF अकाउंट कैसे खोलें
PPF अकाउंट सभी राष्ट्रीयकृत बैंक और पोस्ट ऑफिस में खोले जाते है। एक बार अकाउंट खोलने के बाद, पासबुक जारी हो जाती है। सभी ट्रांजेक्शन इस पासबुक में दर्ज किए जाते हैं। कुछ बैंक पासबुक जारी करने के साथ  PPF खाते में ऑनलाइन जमा और एंट्री को ऑनलाइन देखने की अनुमति देते हैं जिसमे यूको बैंक प्रमुख है। यूको बैंक की भारत में 3200 से अधिक शाखाएँ हैं, देश के सभी राज्यों में यूको बैंक का मजबूत नेटवर्क है। ग्राहक सेवा के मामले में यूको बैंक देश का अग्रणी सार्वजानिक बैंक है इसलिए इसकी किसी शाखा में पीपीएफ खाता खुलवाना फायदेमंद है। यूको बैंक में पीपीएफ खाते से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए https://www.ucobank.com/english/helpline.aspx पर जा सकते हैं।

PPF अकाउंट खोलने के लिए आवश्यक शर्तें
वह कोई भी व्यक्ति जो भारत का निवासी है, वह PPF अकाउंट खोल सकता है, माता-पिता के द्वारा अपने नाबालिग बच्चों के लिए भी अकाउंट खोले जा सकता है। NRI PPF अकाउंट नहीं खोल सकते हैं, अगर कोई भारतीय निवासी जो PPF अकाउंट खोलने के बाद NRI बन गया है, वह अकाउंट की मैच्योरिटी तक अकाउंट चला सकता है। PPF में जॉइंट अकाउंट खोलने की अनुमति नहीं है।

PPF अकाउंट खोलने के लिए आवश्यक दस्तावेज़ (डॉक्यूमेंट)
PPF अकाउंट खोलने का फ़ॉर्म (फ़ॉर्म A), बैंक शाखाओं से प्राप्त किया जा सकता है या ऑनलाइन डाउनलोड किया जा सकता है।यूको बैंक में अकाउंट खोलने के लिए https://www.ucobank.com/pdf/PPF-Forms-A-to-H.pdf  लिंक से फॉर्म - A  डाउनलोड कर सकते है ।
1-पहचान पत्र
2-पते का प्रमाण
3-खाताधारक का फोटोग्राफ

PPF  अकाउंट की अवधि
PPF अकाउंट उस वित्तीय वर्ष के अंत जिसमें अकाउंट खोला गया था, से 15 वर्ष की समाप्ति के बाद मेच्योर होता है। उदाहरण के लिए, यदि PPF अकाउंट जनवरी 1, 2010 को खोला गया था, तो यह 31  मार्च 2025 को मेच्योर हो जाएगा, यानी 31  मार्च 2015 से 15 वर्ष। मैच्योरिटी के बाद, आप अकाउंट की अवधि अगले 5 वर्ष के लिए बढ़ा सकते हैं। ये अवधि कितनी बार भी बढ़ाई जा सकती हैं।

PPF खाते से मैच्योरिटी से पहले पैसे निकालना
PPF अकाउंट खोलने के 5 वर्ष बाद कुछ पैसा उसमें से निकाला जा सकता है। उदाहरण के लिए यदि अकाउंट जनवरी 1, 2010, को खोला गया था, तो वित्तीय वर्ष 2015-16 के बाद PPF अकाउंट में मौजूद कुछ पैसा निकाला जा सकता है। एक वर्ष में केवल एक बार पैसा निकालने की अनुमति है। एक वर्ष में निम्नलिखित में से सबसे कम राशि निकाल सकते हैं:-
1-जिस वर्ष में पैसे निकालने हैं उस से पिछले वर्ष में जो मौजूदा बैलेंस था उसका 50% या
2-जिस वर्ष में निकालना है उस से चार साल पहले मौजूद बैलेंस का 50%।
PPF अकाउंट से मैच्योरिटी से पहले पैसा निकालने के लिए फ़ॉर्म C जमा करना आवश्यक है। जानकारी जैसे कि अकाउंट नंम्बर, निकाली जाने वाली राशि आदि की जानकारी फ़ॉर्म में दी जानी चाहिए। आपको एक एफिडेविट जमा करना होगा जिसमें इस बात की घोषणा होगी कि आप जिस वर्ष में पैसे निकाल रहे हैं उसमें आपने PPF अकाउंट से पहले पैसे नहीं निकाले हैं। यदि अकाउंट नाबालिग के नाम पर है, तो अन्य घोषणा में कहा जाएगा कि राशि उसी नाबालिग बच्चे के उपयोग के लिए आवश्यक होगी जो अभी भी नाबालिग और जीवित है।

PPF अकाउंट में नॉमिनी बनाने के नियम
अकाउंट खोलते समय या बाद में पारिवारिक सदस्य, रिश्तेदार, दोस्त आदि को नॉमिनी बनाया जा सकता है, नॉमिनी कभी भी बनाया और बदला जा सकता है। नाबालिग के नाम पर खोले गए अकाउंट में नॉमिनी नहीं बनाया जा सकता।

PPF अकाउंट का ट्रांसफर
PPF अकाउंट को बैंक से डाक घर या डाकघर से बैंक में ट्रांसफर किया जा सकता है। इसे एक बैंक से दूसरी बैंक में या एक शाखा से दूसरी शाखा में ट्रांसफर किया जा सकता है।

Wednesday, May 6, 2020

सुरक्षित महिला , सुरक्षित समाज

फोटो: इंटरनेट  

यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:” अर्थात्, जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। प्राचीन काल में भारतीय महिलाओं की स्थिति बहुत सम्मानीय रही है परन्तु मध्यकालीन युग से लेकर आज प्रगतिशाली युग तक महिलाओं की स्थिति में गिरावट ही आयी हैI पिछले कुछ सालों में महिलाओं के खिलाफ हो रहे वीभत्स्य और भयानक अपराधों को देख कर स्पष्ट होता है कि भारत में महिलाओं की सुरक्षा में कमी आई है यह भारतीय समाज के लिए अत्यंत चिंता का विषय है। भारतीय महिला देश की आबादी के लगभग आधी है और यह देश के विकास और वृद्धि में बराबर की सहायक हैं I
भारत के संविधान के अनुसार महिलाओं को लैंगिक भेदभाव से मुक्ति, गरिमा , समानता, और स्वतंत्रता का समान अधिकार है परन्तु यह अभी संविधान तक ही सीमित है समाज में महिला को अपने इन अधिकारों के लिए लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ती है। सामाजिक तौर पर महिलाओं को त्याग, सहनशीलता एवं शर्मीलेपन का प्रतिरूप बताया गया है. इसके भार से दबी महिलाएं चाहते हुए भी इन क़ानूनों का उपयोग नहीं कर पातींI  महिलाओं को लगातार यौन उत्पीड़न के साथ ही बलात्कार जैसे जघन्य अपराध का सामना करना पड़ रहा है इसके साथ ही हिंसक ज़ुल्म, एसिड हमला, दहेज प्रथा से होने वाली मौत , मजबूर करके कराई जा रही वेश्यावृत्ति आदि समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हैI जबकि वास्तविकता है कि यह उस महिला की शक्ति ही  है जो हमारे समाज के भविष्य को मजबूत बनाती  हैI अगर वह सुरक्षित नहीं है तो भविष्य कभी सुरक्षित नहीं होगा.
महिला और समाज  -
किसी देश या समाज को उच्च शिखर पर ले जाने के लिए समाज के दोनों वर्ग महिला और पुरुष दोनों का विकास होना अत्यंत आवश्यक है परन्तु वर्तमान परिदृश्य में पुरुष प्रधान समाज में  महिलाओं की स्थिति क्या है किसी से छुपी नहीं है I महिला ही होती है जो वास्तविक रूप से समाज का निर्माण करती है , बच्चे को पैदा करने में भले ही माँ और बाप दोनों का योगदान हो परन्तु बच्चे को पालने का काम पुरातन काल से लेकर आज तक महिला ही कर रही है उसने अपनी जिम्मेदारी को किसी से बांटा नहीं, महिला हमारे समाज की रीढ़ और हमारे घरों की सीईओ भी होती हैं। वह हर भूमिका निभाती  हैं - मां, बेटी, बहन,बुआ , मौसी, नानी, आदि और जीवन का पहला अध्यापक माँ के रूप में महिला ही होती है I वह एक ऐसा  शिक्षक हैं जो हमारी भावी पीढ़ियों को सिखाती हैं जिंदगी कैसे जीना है कैसे दुनिया के सामने उदाहरण प्रस्तुत करना है  और हर क्षेत्र में रोल मॉडल कैसे बनना है ,यह महिला ही है जो इस दुनिया को बदलने की शक्ति रखती है भले ही उसे अपना सब कुछ निछावर करना पड़ता है। घर में  खाना पकाने से लेकर बर्तन धोने ,साफ सफाई से लेकर अंदरूनी साज सज्जा तक की जिम्मेदारी महिला की ही रही है I महिलाओं को हमेशा घर में काम करने के लिए प्रशिक्षित और प्रेरित किया गया है जबकि हमें यह ध्यान रखना चाहिए  कि पुरुष अपनी जिम्मेदारी सिर्फ कार्यालय  के कार्य को समझते रहे है, अगर महिला घर में नहीं होती तो पुरुष के लिए दोनों जिम्मेदारियों को संभालना मुश्किल ही होता।
महिला समाज कि वह अंग जिसके बिना समाज कि कल्पना भी नहीं कि जा सकती और इतना महत्वपूर्ण अंग होने के बावजूद भी उसे अपने हक़ और सुरक्षा के लिए लड़ना पड़ता जिसका दहेज़ प्रथा और घरेलु हिंसा ऐसे अमानवीकृत चेहरे है जिसका शिकार तो महिला होती है परन्तु पूरा समाज इससे प्रभावित होता क्यूंकि महिला हमेशा दो परिवारो ससुराल और मायके दोनों से जुडी होती और परिवार से ही समाज बनता है I घर में अगर महिला पर हिंसा होती है तो इसका सीधा प्रभाव घर के बच्चों पर पड़ता है और धीरे धीरे बच्चे का मस्तिष्क इस हिंसा का अभ्यस्त हो जाता है और बहुत संभव है कि यही बच्चा जब बड़ा होता है तो समाज में हो रहे महिला के खिलाफ अपराध उसे विचलित नहीं करते क्योंकि वह तो यही देखते हुए बड़ा हुआ है इससे समाज में होने अपराधों को रोकना बहुत बड़ी चुनौती बन जाती हैI
आज समय बदल रहा है महिला घर से बाहर निकल रही है वह घर और कार्यालय दोनों के प्रबंधन में अपना पूरा योगदान दे रही है और कई क्षेत्रों में अपना नया मुकाम खड़ा कर रही हैंI आधुनिक भारत में महिलाएं उच्च कार्यालयों जैसे राष्ट्रपति, लोकसभा के स्पीकर, केंद्रीय मंत्री, विपक्ष के नेता, मुख्यमंत्री, राज्यपाल एवंम विभिन्न सेवाओं आदि से जुड़ रही हैं लेकिन पर्दे के पीछे है यहां तक पहुंचने में उनके द्वारा किया गया बेमिसाल संघर्ष I यह अवसर हमारे समाज में महिलाओं को बहुत कम ही मिल पा रहा है I कम अवसर के साथ ही और असुरक्षा का माहौल ज्यादा होता है घर के अंदर घरेलु हिंसा से जूझना पड़ता है तो बाहर कार्यस्थल पर होने वाले वाली छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है I
महिला शिक्षा और आर्थिक विकास
भारत में परिवारों का मुखिया महिला का होना बहुत ही कम देखा जाता है ,अधिकतर परिवारों में पुरुष ही मुखिया होता है यह दिखाता है कि हमारा समाज महिला को बराबर का हक़ नहीं देता है, हमारा देश कृषि प्रधान देश है और कृषि में ग्रामीण  महिलाओं का योगदान 70% से ज्यादा ही है , परन्तु उन्हें वह सम्मान और अधिकार नहीं मिल रहा जिसकी वह हक़दार हैंI वर्तमान सरकार ने नयी पहल करते हुए परिवार निर्धारण में महिला को ही परिवार का मुखिया मानने का फैसला किया है जिससे महिला के आत्मविश्वास को बढ़ाया जा सके I  देश में पुरुष और महिला के साक्षरता अनुपात में काफी अंतर है, 2011 जनगणना के आंकड़ों के हिसाब से देश में  जहां पुरुषों की साक्षरता अनुपात 82.14% है वही महिलाओं की साक्षरता का अनुपात 65.46% है I आज के वर्तमान समय में शहरों में लड़कियों को भले ही लड़को के बराबर शिक्षा का मौका मिल रहा है परन्तु ग्रामीण क्षेत्रों में लड़के और लड़कियों कि शिक्षा में बहुत बड़ा अंतर है I  एक तरफ जहाँ केरल (91.98%), मिजोरम  (89.40%), त्रिपुरा (83.15%) , गोवा (81.84%) आदि राज्यों में महिला साक्षरता दर देश कि कुल साक्षरता दर से भी ज्यादा है ऐसे राज्यों में महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति उच्च  है, वही राजस्थान (52.66%) , बिहार (53.33%) ,झारखण्ड (56.21%) जैसे राज्यों में महिला साक्षरता दर दयनीय है I इन राज्यों में महिला अपराधों कि संख्या अधिकतम होती है इन्हे हर तरफ से जोर-जुल्म और  सामाजिक अवहेलना का शिकार होना पड़ता है I 2015 के एक आंकङे के अनुसार 15 या उससे अधिक उम्र की महिला का शिक्षा दर 60.60% है उसी आयु वर्ग में पुरुष शिक्षा दर 81.30% है I
अपर्याप्त स्कूल सुविधा, स्वच्छता की असुविधा, महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध की संख्या, महिला शिक्षकों की कमी, समाज में लैंगिक भेदभाव (लड़का-लड़की में अंतर) आदि के कारण भारत में महिला साक्षरता दर अभी भी बहुत कम है I अशिक्षा महिलाओं के विकास की सबसे बड़ी बाधक है I
महिलाओं के खिलाफ अपराध
हमारे समाज में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार की एक लम्बी सूची है जैसे बलात्कार, यौन उत्पीड़न, तस्करी, वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर करना, एसिड अटैक, बाल विवाह, घरेलू हिंसा, जबरदस्ती घरेलू काम, बाल शोषण, दहेज के कारण की जाने वाली हत्या और लिंग चयनात्मक गर्भपात आदि ऐसे अपराध है जो महिलाओं के लिए समाज को बिलुकल असुरक्षित बना दे रहे हैं इसमें कुछ के लिए तो सामाजिक और धार्मिक कुरीतिया जिम्मेदार है तो कुछ के लिए अपराध को निययंत्रित ना कर पाना सरकार की विफलता रही है I आजकल महिलाओं के साथ अभद्रता की पराकाष्ठा हो रही है। हम रोज ही अखबारों और न्यूज चैनलों में पढ़ते देखते हैं, कि महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की गई या सामूहिक बलात्कार किया गया। यह समाज का  नैतिक पतन ही कहा जाएगा। शायद ही कोई दिन जाता हो, जब महिलाओं के साथ की गई अभद्रता पर समाचार हो।
आमतौर पर शारीरिक प्रताड़ना यानी मारपीट, जान से मारना आदि को ही हिंसा माना जाता है और इसके लिए रिपोर्ट भी दर्ज कराई जाती है. लेकिन महिलाओं और लड़कियों को यह नहीं पता कि मनपसंद कपड़े पहनने देना, मनपसंद नौकरी या काम करने देना, अपनी पसंद से खाना खाने देना, बालिग़ व्यक्ति को अपनी पसंद से विवाह करने देना या ताने देना, मनहूस आदि कहना, शक करना, मायके जाने देना, किसी खास व्यक्ति से मिलने पर रोक लगाना, पढ़ने देना, काम छोड़ने का दबाव डालना, कहीं आने-जाने पर रोक लगाना आदि भी हिंसा है, मानसिक प्रताड़ना है.
भारत में महिलाओं के लिए सुरक्षा कानून
इंसान जन्म से ही कुछ अधिकार लेकर आता है, चाहे वह जीने का अधिकार हो या विकास के लिए अवसर प्राप्त करने का. मगर इस पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं के साथ लैंगिक आधार पर किए जा रहे भेदभाव, उस पर होने वाले अपराध की वजह से महिलाएं इन अधिकारों से वंचित रह जाती हैं. इसी वजह से महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने हेतु हमारे संविधान में अलग से क़ानून बनाए गए हैं I कुछ महत्वपूर्ण महिला सुरक्षा कानून जैसे बाल विवाह संयम अधिनियम 1929, हिंदू विवाह अधिनियम 1955, हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 1856, दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961, भारतीय तलाक अधिनियम 1969, गर्भ अधिनियम की चिकित्सा समाप्ति 1971, ईसाई विवाह अधिनियम 1872, समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976, विवाहित महिला सम्पत्ति अधिनियम 1874 मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकार का संरक्षण) अधिनियम 1986, सती आयोग (निवारण) अधिनियम 1987, राष्ट्रीय आयोग महिला अधिनियम 1990, सेक्स चयन अधिनियम 1994, घरेलू हिंसा अधिनियम 2005, यौन अपराध से बच्चों का निवारण अधिनियम 2012, कार्य स्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013 आदि ऐसे कानून भारतीय संविधान में समय समय पर बनाये गए जिससे  महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके I
निष्कर्ष
महिलाओं के खिलाफ अपराधों को संभालने और नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न प्रभावी नियमों और आयोग के गठन के बावजूद महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध की स्थिति पिछले कुछ वर्षों में अधिक आक्रामक और भयानक रही है इससे उनके अपने देश में सुरक्षा के लिए महिलाओं के मनोबल के स्तर में कमी आई है महिलाओं की सुरक्षा उनके अपने लिए संदिग्ध हालत में है I इन सभी के लिए  हमें सरकार को दोष नहीं देना चाहिए क्योंकि महिला सुरक्षा केवल सरकार की जिम्मेदारी ही नहीं है, यह हर भारतीय नागरिक खासकर पुरुषों की जिम्मेदारी है, जो पूर्वाग्रह से ग्रसित है उसे अपने सोच को बदलने की जरूरत है क्योंकि समाज का निर्माण सिर्फ एकतरफा विकास से नहीं हो सकता , अगर आधी आबादी को उसके अधिकार और सुरक्षा से वंचित रखा गया तो एक आदर्श और सुरक्षित समाज का निर्माण संभव नहीं होगा I अतः जब हम अपने परिवार में महिलाओं को सम्मान वह सुरक्षित महसूस करेंगी तो परिवार और समाज सुरक्षित और खुशहाल होगा, महिला की सुरक्षा होने से ही सुरक्षित समाज की स्थापना होगी I



ऑनलाइन ठगी: सतर्कता ही बचाव

Cyber Crime देश कोरोना की मार झेल रहा है जिससे लाखों लोग अपना रोजगार खो रहे हैं, आने वाले दिनों में गरीबी और महंगाई दोनों बढ़ेगी । इस...